Monday, September 12, 2016

अब कहने दे...


आज इन प्यासी आँखों को, देखने दे।
मौहब्बत न सही, इस पल को गुजरने दे॥
ना छुपा चेहरे को, वक्त थम जायेगा मेरा;
उदास है जिंदगी, कुछ पल तो महकने दे॥
तुझे चाह के क्या, कोई गुनाह हो गया?
ना चाह मुझे पर, मुझे तो जी लेने दे॥
धड़कने क्यों बदहाल है, तुझे न देखने से?
मजबूरियाँ होंगी तेरी पर, मुझे तो समलने दे॥
यादों के जख्म सी सीकर, थक गया हूँ मैं।
'आज़ाद' बस तेरे प्यार में, इसको अब कहने दे॥   

Sunday, September 11, 2016

ये दुनिया तुझ में ही...


सिलसिले चलते रहे, और हम जलते रहे।
वो दूर से ही देखकर, मुस्कराते रहे।।
करीब से ना गुजरना था हमे उनके,
हम याद में रोते रहे, और वो बस हँसते रहे॥

निगाहें मिलाने की कीमत, चुकानी थी हमे।
दिले दरिया में डूबने की कीमत, चुकानी थी हमे।
हम उलझ गए थे प्यार के जाल में,
स्वप्न देखने की कीमत, चुकानी थी हमे॥

बहुत किये वायदे हमने, पर हम निभा ना सके।
आँखों से अश्क गिरे, पर उनको बता ना सके॥
दर्द-इ-तन्हाई में जलते रहे, गैरों की तरह;
वो अनजान बनते रहे, और हम कह ना सके॥

तुझे मेरी हकीकत पता है, फिर कुछ बोलती क्यों नही?
मैं गुजर रहा इस दौर से, ये ख़ामोशी तोड़ती क्यों नही?
साँसे जा रही है मेरी, इनको वापिस नही चाहता अब;
'आज़ाद' दुनिया तुझ में ही, जग की रस्मे छोड़ती क्यों नही?

आँखों में नमी होनी चाहिए...


शुष्क है माटी के कण, जल प्रवाह होना चाहिए।
ऊष्ण होते हृदय ग़म पर, अश्रु प्रवाह होना चाहिए॥
ठग लिया जिसको जगत ने, वो चंद साँसे जी रहा;
अपना नही इन्सान के वास्ते, ग़म प्रवाह होना चाहिए॥

भूलते है जो दर्द देकर, सजा उनको होनी चाहिए।
मेरे लिए न सही पर, आँखों में नमी होनी चाहिए॥
अनमोल जिंदगी कतरों पर, पल पल इसे जो लुटा रहा;
करुण रुदन किसी विरही का, इंसानियत भी रोनी चाहिए॥

बिताया वक्त साथ में, वो ख्वाब पूरे होने चाहिए।
तलाशा जिसे रग रग में, वो स्वप्न पूरे होने चाहिए॥
अपनी जिंदगी को उड़ाया, गफ़लत की दुनिया में;
तीर पर आकर खड़ा हूँ, कुछ किनारे तो होने चाहिए॥

डूबता है कोई इश्क में तो, अश्कों की कीमत होनी चाहिए।
प्यार के पवित्र बंधन में, हर दुआ शामिल होनी चाहिए॥
मेरी साँसे तेरी हो गई, ये अहसास तुझे समझना चाहिए;
जिंदगी विरह में दीरघ भई, अंतिम ख़ुशी तो होनी चाहिए॥

ख्वाब टूटे जिस पल में, उस पल को होना ना चाहिए।
फासले बढ़े रिश्तों में, उन रिश्तों को समझना चाहिए॥
वक्त गुजरता है किसी की याद में, क्या तुझे मेरी याद ना आती है?
ये विरह तड़फाता 'आज़ाद' को, क्या प्यार कभी होना ना चाहिए?