Monday, September 12, 2016

अब कहने दे...


आज इन प्यासी आँखों को, देखने दे।
मौहब्बत न सही, इस पल को गुजरने दे॥
ना छुपा चेहरे को, वक्त थम जायेगा मेरा;
उदास है जिंदगी, कुछ पल तो महकने दे॥
तुझे चाह के क्या, कोई गुनाह हो गया?
ना चाह मुझे पर, मुझे तो जी लेने दे॥
धड़कने क्यों बदहाल है, तुझे न देखने से?
मजबूरियाँ होंगी तेरी पर, मुझे तो समलने दे॥
यादों के जख्म सी सीकर, थक गया हूँ मैं।
'आज़ाद' बस तेरे प्यार में, इसको अब कहने दे॥   

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