Tuesday, October 30, 2012

खुदा की दुनिया


फूलों की खुशबू अजब निराली होती है।
मन में हो उजाला तो हर दिन दिवाली होती है।।
जो अपनी आत्मा को पाले  उसका हर प्रशन हल है।
 वर्ना पूरी दुनिया खुदा के द्वार पे सवाली होती है।।

जिसका सितारों से जड़ा हर एक अल्फाज है।
जिसकी हर एक बात में कोई राज है।।
हम, तुम या घरबार ही नहीं।
उसके लिए तो पूरी दुनिया ही मोहताज है।।

दुनिया में हर कोई खुदा नहीं होता।
और जो होता है वो कभी हमसे जुदा नहीं होता।।
हर कोई खामोश चेहरों के सवालों को समझता नहीं।
पर खुदा कभी उन चेहरों के सवालों से गुमशुदा नहीं होता।।

कौन कहता है खुदा नहीं होता, एक बार मन में झांककर तो देख।
कौन कहता है खुदा सुनता नहीं, एक बार दिल से याद कर तो देख।।
वो तेरी हर फ़रियाद पूरी करेगा,
बस एक बार उसे देखने के लिए उसे, पीछे मुड़कर तो देख।।

आँख तो सबकी है,बस देखने का  अलग तरीका है।
इन आँखों से अच्छा  देखो, बस मैंने ये सींखा  है।।
अगर कोई इन आँखों से संसार में, भरे प्यार को न देख सके,
तो उसका जीवन निर्जर कठोर, प्यार बिना फीका है।।

जैसे किसी पेड़ से पत्ती  टूट जाती है।
ऐसे ही शरीर से जान छूट जाती है।।
इस दुनिया में कोई अमर नहीं है।
ये जिन्दगी एक  दिन सबसे रूठ जाती है।।

भगवान् को समझा तो कुछ याद आया।
मैंने सारे  जहाँ को बर्बाद ही पाया।।
 ये संसार तो एक दूसरे  से बंधा है।
जब खुदा से मिला तो खुद की फितरत को आज़ाद पाया।।

इन्सान की फितरत है वायदे करने की।
खुदा की रहमत है उसे पूरा करने की।।
खुदा के बगैर कोई कुछ नहीं कर सकता।
इन्सान को जरुरत है खुदा से डरने की।।