Friday, December 31, 2010

मेरे घर पे मिलने आओगे


मैं एक रोज़ जुदा हो जाउंगा
ना जाने कहाँ खो जाउंगा
तुम लाख पुकारोगे मुझको
पर लौट के मैं ना आऊंगा

जब घर से बाहर गलियों के
कोनों पे तन्हा बैठोगे
जब आते जाते चेहरों में
तुम चेहरा मेरा ना पाओगे

थक हार के दिन के कामो से
जब रात को सोने जाओगे
देखोगे जब फ़ोन को
पैगाम मेरा ना पाओगे

तब याद तुम्हें मैं आउंगा
पर लोट के मैं ना आउंगा

एक रोज़ ये रिश्ता छूटेगा
दिल इतना ज्यादा टूटेगा
फिर कोई ना हम से रूठेगा
हर सांस में प्यार फूटेगा

मैं इतना बेबस कर दूंगा
मेरी यादो में तुम खो जाओगे
हर पल मुझको चाहोगे
हर जगह मुझको पाओगे

दिल में भरे अरिमानो को
दिल से ना जुदा कर पाओगे
मैं इतना बेबस कर दूंगा
मेरे घर पे मिलने आओगे
मेरे लिए आंसू बहाओगे

Friday, December 24, 2010

हर आँगन में आग है


अंगारों की फसल उगी है
हर आँगन में आग है
माली की लापरवाही पर
रोता सारा बाग़ है
कितनी कलियाँ मसली जाती
रौंदें जाते फूल है
रक्षक दर्शक बन कर बैठे
हँसते जिन पर शूल है

कभी विदेशी बाँट गये थे
दो टुकड़ों में ये घर बार
पर अब हम खुद सौ टुकड़ों में
बंटने को बैठे तैयार
यहाँ बना दो मंदिर मस्जिद
यहाँ बना दो खालिस्तान
हमें चाहिए सत्ता चाहे
बंट जाये फिर हिन्दुस्तान

अब रौशनी बुझी जा रही
अन्धकार की दिखती जीत
भूले हम तुलसी की वाणी
भय बिन कभी ना होत प्रीत
'आज़ाद' दुनिया में जीया
रोया देख विहंग राग 
घर घर कलह मची है 
अब हर आँगन में आग  

क्या हम आज़ाद है ?

क्या हम आज़ाद है ?
१. क्या हम आज़ाद है? 
मजाक नहीं सत्य बोलना,
क्या हम आज़ाद है ?
आज़ाद पर्याय स्वत्रंतता,
या ये शब्द एक अपवाद है ?

सीखी थी हमने आज़ादी की परिभाषा,
किसी सीमा में निहित नहीं जन जन की आशा
कोई घूम सकता है स्वत्रंत
कोई बोल सकता है स्वत्रंत
देश की उन्नति की स्वत्रंतता
बलि बेदी पे आहुति की स्वत्रंतता
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२. क्या हम आज़ाद है?
पर ये कैसी आज़ादी ?

नक्सलवादी माओवादी का डर जो छाया है
ये ही उन्नति है, या अवगति का साया है ?
पल पल कोस  पे डर बना रहता है
देश के कर्णधारों का कोप जो बना रहता है
शायद कहीं बम ना फट जाये
शायद कही बाढ़ ना आ जाये
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३. क्या हम आज़ाद है?
भारत की आज़ादी पे खायी थी बहुत कसमें ?

हम एक खुशहाल भारत बनायेंगे
हर जन जन के लिए घर बनायेंगे
बहकेगा चमन गंगा के जल से
ना होगा दुःख गरीब को किसी छल से
पर क्या आज जनता फुटपाथ पे नहीं सोती ?
क्या सबको मिल गया कपड़ा मकान और रोटी
क्या सरितो का पानी निखर गया है
या कारखानों के कचरों से भर गया है
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४. क्या हम आज़ाद है?
आज़ादी के दौरान किये थे बहुत वायदें

भारत में एकता बनी रहेगी
भारत में समता बनी रहेगी
भारत की धरोहर को सजा के रखा जाएगा
भारत में भारतीयता का अहिसास बचा के रखा जाएगा
क्या हमारी विविधिता में एकता नजर आती है ?
बाँट रहे वो रखवाले, कौम क्षेत्रीयता  ही नजर आती है

समता शब्द का तो बहुत अपमान किया है
संसद से लेकर गली गली में समता का हान किया है
किस धरोहर को हम बचा के रख रहे है
उजड़े पेड़, फूल, पोंधे, वन्य जीव, क्या हम बचा के रख रहे है ?
भारतीयता का अहिसास क्या तुम ख़ाक जानते हो
अंग्रेजी बरप्पन में बोली हिंदी को ना पहिचानते हो

ये धन लोलुप कमजोर सत्ता, तरप रही मेरी माँ भारती
'आज़ाद' दे बलिदान ऐसा, हर जगह आज़ादी संवारती