Sunday, September 11, 2016

आँखों में नमी होनी चाहिए...


शुष्क है माटी के कण, जल प्रवाह होना चाहिए।
ऊष्ण होते हृदय ग़म पर, अश्रु प्रवाह होना चाहिए॥
ठग लिया जिसको जगत ने, वो चंद साँसे जी रहा;
अपना नही इन्सान के वास्ते, ग़म प्रवाह होना चाहिए॥

भूलते है जो दर्द देकर, सजा उनको होनी चाहिए।
मेरे लिए न सही पर, आँखों में नमी होनी चाहिए॥
अनमोल जिंदगी कतरों पर, पल पल इसे जो लुटा रहा;
करुण रुदन किसी विरही का, इंसानियत भी रोनी चाहिए॥

बिताया वक्त साथ में, वो ख्वाब पूरे होने चाहिए।
तलाशा जिसे रग रग में, वो स्वप्न पूरे होने चाहिए॥
अपनी जिंदगी को उड़ाया, गफ़लत की दुनिया में;
तीर पर आकर खड़ा हूँ, कुछ किनारे तो होने चाहिए॥

डूबता है कोई इश्क में तो, अश्कों की कीमत होनी चाहिए।
प्यार के पवित्र बंधन में, हर दुआ शामिल होनी चाहिए॥
मेरी साँसे तेरी हो गई, ये अहसास तुझे समझना चाहिए;
जिंदगी विरह में दीरघ भई, अंतिम ख़ुशी तो होनी चाहिए॥

ख्वाब टूटे जिस पल में, उस पल को होना ना चाहिए।
फासले बढ़े रिश्तों में, उन रिश्तों को समझना चाहिए॥
वक्त गुजरता है किसी की याद में, क्या तुझे मेरी याद ना आती है?
ये विरह तड़फाता 'आज़ाद' को, क्या प्यार कभी होना ना चाहिए?

1 comment:

  1. Waah waah... Kya khoob likhte ho aap. Bahut achhi kavita.

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