Sunday, May 24, 2015

अब कोई ग़म नहीं


ये ब्यार बहती हुई,
मदमस्त सी मदमाती सी ।
धीरे से पास से गुजरती है।
अंग अंग मचलती है ॥
न छू मेरे तन को,
मुझे कुछ कुछ होता है ।
दो पल जीना चाहता हूँ ।
अंगों को शिथिल मत कर ।
बह मेरे से हटकर ॥
ये चिरकाल की तन्हाई ।
क्यूँ मेरे पास आई ॥
बिसरा दूंगा सब ।
पूछना मत कब ॥
चलती सांसे,
धीरे धीरे सुलगती है ।
दर्द-इ-विरह में जलती है ॥
न सोचूंगा उन कमजोर पलों को,
जिन्होंने जिंदगी तबाह कर दी ।
मौत को बुला लिया ।
दीरघ ग़म में सुला दिया ॥
कोई इन वासनाओं को हटाओ ।
मैं इनमे नहीं उलझा था ।
पर मैं तो काफी सुलझा था ॥
छोड़ दी वो बातें,
फिर तेरी याद मेरे पास क्यूँ आई ॥
जिंदगी जीने चला था ।
कुछ ही पल तो रुका था ॥
उन ही में ठगा था ॥
अब सब खामोश क्यूँ है ?
मेरे में ही आगोश क्यूँ है ?
यहाँ कोई नहीं दीख रहा ।
मैं अकेला ही घूम रहा ॥
मैं शून्य में खो रहा ॥
ईश्वर, इन विचारों को रोक ।
आँखें क्यूँ बंद हो गई ?
सांसे भी थम गई ॥
मैं शांति से चिर निद्रा में लीन हूँ ।
'आज़ाद' अब न मैं ग़मगीन हूँ ॥
अब न मैं ग़मगीन हूँ ॥  



Sunday, May 10, 2015

काश हम ये समझते


वो हमारे न थे, हम क्यूँ उन्हें अपना समझते ।
काश हम ये समझते, काश हम ये समझते ॥

वो गुजरे न कभी, जिन रास्तों पर हम टहलते ।
काश हम ये समझते, काश हम ये समझते ॥

वो हारे न कभी, हम जीत के लिए तरसते ।
काश हम ये समझते, काश हम ये समझते ॥

उन्हें जाना था दूर, हम क्यूँ ख्वाब पकड़ते ।
काश हम ये समझते, काश हम ये समझते ॥

वो चाहते भूल जाना, हम क्यूँ उन्हें याद करते ।
काश हम ये समझते, काश हम ये समझते ॥

वो जाने न इस प्यार को, फिर हम क्यूँ तड़फते ।
काश हम ये समझते, काश हम ये समझते ॥

कौन हूँ मैं उनका, वो बार बार ऐसा क्यूँ कहते ।
काश हम ये समझते, काश हम ये समझते ॥

पुष्प खिलते है सब, पर सारे नहीं महकते ।
काश हम ये समझते, काश हम ये समझते ॥

'आज़ाद' दुनिया अच्छी है, जहाँ हम विरह में रहते ।
काश हम ये समझते, काश हम ये समझते ॥

Thursday, May 7, 2015

जीवन का सत्य


हम इंसानों की दुनिया बड़ी विचित्र है । हम ईश्वर की खोज में पता नहीं कहाँ कहाँ तक पहुंच जाते है, पर उस इंसान की कभी पूजा नहीं की जो खुद ईश्वर है । उसने कभी बोला नहीं की वो ईश्वर है । पर उसने कभी किसी का बुरा नहीं किया, शायद सोचा ही नहीं था । हम उस पर विश्वास नहीं करते जो हमारे पास है, हम भागते रहना चाहते है ताउम्र । यहीं तो दुःख की चाल है ।

किसी के मन में क्या चल रहा है जानना मुश्किल होता है । परन्तु हमारे मन में क्या है उस पर हमें गौर करना चाहिए । क्या सही है क्या गलत, हम सबको भलीभांति पता रहता है । कभी भी हमें खुद को ऊँचा साबित नहीं करना चाहिए । क्योंकि ईश्वर की सत्ता को हम कभी नहीं जान सकते । हमें ईश्वर को धन्यवाद देना चाहिए, उसने हम सबको मौत जैसे सुन्दर पल दिए । मौत की यादें हमारी बुराइयों को कम कर सकती है ।

हम जिंदगी की दौड़ में हिस्सा लेते है । कभी कभी वो दौड़ हमारी मौत को बदनाम कर देती है । हमने गलत किया, ऐसा नहीं करना चाहिए था, सोच इंसान को बलबती बनाती है । हर पल हमें ऐसे उसूलों पर काबिज रहना चाहिए । अपने आंतर से मानी हुई गलती क्षमा योग्य होती है ।

किसी पर अटूट विश्वास करना, किसी के खातिर जीना, इंसान की अपनी सोच है । अगर वो सोच नीयत के विरुद्ध नहीं है तो वो महानता है । जो परमत्व से जोड़ सकती है । कुछ क्षण आंतर की बुराई से उपजे पाप, हमारे मन को दूषित कर सकते है । परन्तु हमारे जीवन की लम्बी साधना, उस बुराई को तन तथा मन से दूर करने में सक्षम होती है । हमें किसी की भावनाओं को आहात किये वगैर सत्य के रास्ते पर चलने का हमेशा प्रयत्न करना चाहिए ।

Saturday, May 2, 2015

उफ़ ये जिंदगी


हम खोजते रहे जिंदगी को, जिंदगी हमें धोखा देकर निकल गई ।
हम देखते रह गए रास्तों को, जिंदगी रास्ता बदलकर निकल गई ॥
बड़ी मुश्किल से मनाया था मन, अब के जिंदगी को समझकर रहूँगा ।
ना समझ था ना समझ ही रह गया, अब के तो जिंदगी पूरा मारकर गई ॥

रोते रहे रातभर सोते रहे ख्वाब में, जिंदगी ने ये खेल क्यूँ खेला ?
किसी की चहकती किलकारियों को, चढ़ती ताउम्र तन्हाई में क्यूँ धकेला ?
उस जिंदगी के वास्ते जी रहा था, अब किस जिंदगी के वास्ते जी रहा हूँ ?
क्यूँ तड़फ रहा चिर विलाप में, कल भी था अकेला आज भी हूँ अकेला ?

कुदरत के वास्ते तू रोना मत कभी, जिंदगी के वास्ते कुछ कहना मत कभी ।
ये दर्दमयी संसार उकसाए बार बार, जिंदगी के वास्ते इसमें तू रहना मत कभी ॥
खोजते है अपने से उदास चेहरों को, शायद ये भूलने को हम अकेले रह गए है ।
पर ना ढूँढा उस रहमत को जिसने सिखाया, जिंदगी को फासलों में ढहना मत कभी ॥

ऐ जिंदगी मेरे सवालों के जबाब तो दे, मेरे खालीपन के अहसासों का हिसाब दे ।
अब तो तेरी हर चाल कामयाब हो गई, मेरी शहादत पर दर्द-इ-विरह का खिताब दे ॥
इस जिंदगी ने हर आरज़ू को पल में समेटा, हम थमे नहीं और जिंदगी काट कर गई ।
इन साँसों के बोझ तले जिंदगी दफ़न कर दी, 'आज़ाद' अब कफ़न से हमे नबाज दे ॥