Wednesday, February 13, 2013

हुआ सब कुछ गुम

सोचा था, तुम्हारा मिलन खुशनसीब होगा ।
जीवन में सबसे, हसीन होगा ।।
पर ये क्या ? मैं तो अब भी यादों में जी रहा हूँ ।
पल पल तुम्हारे विरह में मर रहा हूँ ।।
मेरी नज़रे सिर्फ, तुमको तलाशती है ।
बैचैन ग़मों की दुनिया, मुझे काटती है ।।
प्रिये ! एक बार आकर मुझसे मिल तो लो ।
शायद मेरे लिए, कल हो या न हो ।।
मेरे तडफने में, दिल्लगी न करना तुम ।
'आज़ाद' अब तेरा जहाँ में, हुआ सब कुछ गम ।।