डूबा था इश्क में इतना, कि कोई गुजारिश ही न बाक़ी रही |
चाहा था तुझे इतना, कि कोई चाह ही न बाक़ी रही ||
मिला था बहुत सुकून, तेरे इश्क में डूबने का |
पर अब इश्क के नाम से ही, नफ़रत सी हो गयी ||
जलाया था दिल कई दफ़े, बहुत तरह से तूने |
पर अब दिल जलाने की, कोई वज़ह न रह गयी ||
फख्र था तुझको बहुत, कि तुझ पर मर मिटा हूँ मैं |
वो वक्त ही मदहोश था, बस यूही गलतफहमी हो गयी ||
झलकें थे आँसू कई दफ़े, तेरी याद में रह रह कर |
"आज़ाद" इन आँखों में अब, कोई तमन्ना ही न रह गयी ||