Sunday, April 19, 2015

फिर से.....


इस चेहरे पर मुस्कान ना लाया करो,
कहीं प्यार का दरिया दिल में उफन ना जाये।
डरते है आँखों में नमी न आये फिर से,
लब्ज होठों पर आते आते कहीं ख़्वाब दफन ना जाये॥

तेरे दिल की चाह मुझे पता नहीं है,
पर मेरे दिल के अरमान बढ़ गए है।
बेचैनियाँ बढ़ाने की गलती नजदीक से ना करना,
तेरे बिना हम न रहे, हम जिद पर अड़ गए है॥

मान लिया है उनको अपना, जो शायद हमारे न है,
ना देखो अब मुड़कर मुझे, याद बहुत आते हो आप।
फिर से ये वक्त मुझे परेशान कर रहा है,
मैं बिखर जाऊंगा तब, इन सिलसिलों से जाते हो आप॥

कभी करीब से तो देख लो, इन प्यासी आँखों को।
कभी अहसास तो कर लो, इन सुलगते अरमानों को॥
हम जिंदगी की दहलीज पर, खड़े हो गए है शायद,
पहले आना फिर जाना, कहीं तोड़ न दे पैमानों को॥

ना जाना कभी हमें, इस हाल में छोड़कर,
ये हाल भी तो तूने ही बेहाल किया है।
तेरे कहने से बहाये थे गम में अश्क,
'आज़ाद' जिंदगी को तूने, कितना मुश्किल कर दिया है॥  

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