Sunday, April 19, 2015

वो चला गया


आज मन फिर से उदास हो गया है।
जैसे कोई अपना बिछुड़ गया है॥
जिंदगी ने फिर से ये अनुभव करा दिया है,
बहुत दिनों के बाद, दिल फिर से रो गया है॥

उन बीते पलों को ही, बार बार याद करता हूँ।
नहीं चाहता फिर भी, बार बार मरता हूँ॥
अब ये यादें वो बीते लम्हे, घड़ी घड़ी मारते है,
इन बारिश की बूंदों में भी, दिल-इ-विरह में जलता हूँ॥

मैं चाहता क्या था तेरे से, मुझे नहीं पता।
मैं देखता क्यों था तुझे, मुझे नहीं पता॥
कभी जिंदगी को करीब से, इतना खामोश नहीं देखा था,
मैं पल पल क्यों याद करता हूँ तुझे, मुझे नहीं पता॥

 मैं इतना बदहाल हूँ कि, शब्दों से भी डरने लगा हूँ।
उन शब्दों की ओट में, कुछ का कुछ करने लगा हूँ॥
कहीं ऐसा न हो जाये कि, नफ़रत की बयार में बह जाऊं मैं,
'आज़ाद' प्यार को समझा न कभी, फिर से इसमे क्यूँ मरने लगा हूँ॥  

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