Wednesday, April 8, 2015

कल वो जायेगा


आजकल बैचेनी का आलम सताने लगा है मुझे।
कल से हो जाऊंगा तन्हा, डर सताने लगा है मुझे॥
तेरी एक मुस्कराहट के लिए, मैं परेशान रहता हूँ,
कल के बाद कैसे रहूँगा मैं, याद आने लगा है मुझे॥

देखते है तेरा रास्ता, शायद उससे तू गुजर जाये ।
बिन कहे लब्जो से, आँखों में कोई बसर जाये॥
कल आँखों में नींद भी ना हो, ना कोई आशा होगी,
डरते है जिस ग़मों की दुनिया से, शायद वो पसर जाये॥

कभी ना चाहा तुझे दुःख दे, इसलिए दूर से देखते रहे हम।
कभी ना जाना था प्यार क्या है, अब अहसास कर गए हम॥
दुआ है मेरी खुदा से, तुम कहीं भी रहो सदा खुश रहो,
ये आँखें तुम्हे देखने की कीमत चुकायेंगी, जब आंसुओं से भींग जायेंगे हम॥

विरह का मतलब ना जाना था कभी, वो भी अब जान चुके।
पल पल तुझे देखे बिना चैन ना मिले, ये भी अब मान चुके॥
दिल तो नहीं चाहता कि तू कभी जाये इन आँखों से दूर,
'आज़ाद' पूछा क्यों ना कभी उसने, क्या मेरे लिए कभी साँस रुके॥

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