Friday, July 6, 2012

ऐ मेरे खुदा

ऐ मेरे मालिक, ऐ मेरे पर्वतेगार
ऐ मेरे दाता, ऐ मेरे मददगार
तेरी ऐसी फितरत है
कि पूरी दुनिया पर तेरी रहमत है
फिर भी पता नहीं दुनिया में कैसा इंसान है?
जो तेरी हर दया से अनजान है

वह तेरी भक्ति करना चाहता है पर करता नहीं
और जो तेरी भक्ति करता है वो मरकर भी मरता नहीं
ऐ अब इस दुनिया में तू नहीं केवल दौलत है
इंसान भक्ति करता है उसकी जिसकी शोहरत है
ऐ मेरे मालिक ये दुनिया कैसे अंधकार में खो गयी
पैसों के एशोआराम में सो गयी

इस दुनिया को एस नींद से जगाना है
पैसों के एस बंधन से मुक्त कराना है
ऐ खुदा कभी तो ऐसा दिन भी आएगा
 जब पूरा संसार तेरी भक्ति में लीन  हो जायेगा 

No comments:

Post a Comment