यादों की डोली में तुम्हे बैठाया, नैनो को मैंने दुनिया से छिपाया,
तकदीर में मेरी तुम ना थी, जुदाई ने मुझे पल पल रुलाया.
ख्वाव सजाये तो सजा मिल गयी, हर सजा ने मुझे तन्हा बनाया,
हार गये हम जीती बाजी, जब दिल ने तुम्हे करीब पाया.
आँखों की भाषा दिल ना समझा, दिल को दिल से दूर पाया,
अन्श्रुओ की धारा रुक ना सकी, जब बातों ने तेरी ऐसे ठुकराया.
हर अदा को तेरी, मुस्काराहट को तेरी, पलको पे था सजाया,
मेरी नैनो की नींद को जाना, तुमने जाने कहाँ था उड़ाया.
मेरी हर सांस में बसी थी तुम, हर सांस ने मेरे तन को जलाया,
गुजरती व्यार जो अंगराई लेती हुई, व्यार ने मींठा सा दर्द जगाया.
सुबह की महक, शाम की रौनक, अपने से उसे दूर कराया,
क्यों आया इतना करीब उसके, जिससे मैं बहुत दूर पाया.
ठहर जाती है अपनी दुनिया, हृदय की पीड़ा जाग जाने पर,
क्यों लाते वो तन्हाई को, हर सपने के जल जाने पर.
जख्म भरता नहीं, याद मिटती नहीं, घाव गहरा जो लगाया,
अरे 'आज़ाद' दुनिया बेगानी हुई, क्या तू भी ठोकर खाया.
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