Friday, December 31, 2010

मेरे घर पे मिलने आओगे


मैं एक रोज़ जुदा हो जाउंगा
ना जाने कहाँ खो जाउंगा
तुम लाख पुकारोगे मुझको
पर लौट के मैं ना आऊंगा

जब घर से बाहर गलियों के
कोनों पे तन्हा बैठोगे
जब आते जाते चेहरों में
तुम चेहरा मेरा ना पाओगे

थक हार के दिन के कामो से
जब रात को सोने जाओगे
देखोगे जब फ़ोन को
पैगाम मेरा ना पाओगे

तब याद तुम्हें मैं आउंगा
पर लोट के मैं ना आउंगा

एक रोज़ ये रिश्ता छूटेगा
दिल इतना ज्यादा टूटेगा
फिर कोई ना हम से रूठेगा
हर सांस में प्यार फूटेगा

मैं इतना बेबस कर दूंगा
मेरी यादो में तुम खो जाओगे
हर पल मुझको चाहोगे
हर जगह मुझको पाओगे

दिल में भरे अरिमानो को
दिल से ना जुदा कर पाओगे
मैं इतना बेबस कर दूंगा
मेरे घर पे मिलने आओगे
मेरे लिए आंसू बहाओगे

No comments:

Post a Comment