Tuesday, July 21, 2015

तो जानोगे


क्या हाल है मेरा, तेरे से दूर रहकर;
कभी करीब से देखोगे, तो जानोगे ॥
तुम्हे मेरी आँखों में, नमीं नहीं दिखती;
कभी दिल के रास्ते आओ, तो जानोगे ॥
तुम्हे शिकायत मेरे, लब्ज न बोलने से है;
मेरी धड़कन की भाषा समझोगे, तो जानोगे ॥
तुम्हारी जुदाई मुझे, कितना तड़फाती है;
कभी तन्हा रहोगे, तो जानोगे ॥
मैं रिश्तों के बंधन से, कायर हो गया हूँ;
कभी रिश्तों को मानोगे, तो जानोगे ॥
तेरा कहना मुझे बाँहों में, समाया नहीं कभी;
'आज़ाद' वक्त को गुजरने दे, तभी तो जानोगे ॥ 

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