Wednesday, July 1, 2015

तू समझती क्यों नहीं ?


कहीं तुझे याद करते करते, अपनी जान ना दे दूँ मैं ।
तुझसे प्यार हो गया है मुझे, तू समझती क्यों नहीं ?

और भी है इंसान जहाँ में, तूने आसानी से कह दिया ।
पर उनके लिए आँसू नहीं आँखों में, तू समझती क्यों नहीं ?

माना तेरी मंजिले अलग है, मेरे रास्ते भी जुदा है ।
दूर रहकर तो प्यार और भी बढ़ता है, तू समझती क्यों नहीं ?

जिंदगी का पहला अहसास, इसने मुझे बहुत सताया है ।
ये दर्दमयी तड़फ काटती है मुझे, तू समझती क्यों नहीं ?

मेरी हर सांस में तेरी याद है, इसको कैसे हटाऊँ मैं ?
तेरी याद रोकूँ या अपनी साँस, तू समझती क्यों नहीं ?

ये जिस्म की नुमाइश नहीं है, ये प्यार का घर बना है ।
'आज़ाद' बस तुझमें खो गया है, तू समझती क्यों नहीं ?

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