Monday, August 20, 2012

मुझपे माँ का प्यार नहीं

मैंने माँ के प्यार को केवल सुना है देखा नहीं
कहते है माँ के प्यार की कोई रेखा ही नहीं
बोलते है माँ बच्चों की पहली गुरु होती है
बच्चों की जिन्दगी माँ से ही शुरू होती है
फिर वो बच्चे कैसे है जिन्होने माँ को देखा ही नहीं
मैंने माँ के प्यार को केवल सुना है देखा नहीं

कहते है की माँ बच्चों की भगवान् है
बच्चों के हर कदम की पहचान है
पर जिस माँ ने बच्चों को छोड़ दिया
अपना हर एक रिश्ता उनसे तोड़ लिया
क्या उन बच्चों के हाथ में माँ के प्यार की रेखा नहीं
मैंने माँ के प्यार को केवल सुना है देखा नहीं

मैंने माँ से जन्म तो लिया पर उसका प्यार नहीं
क्या माँ के बिना कहीं खुशियों का संसार नहीं
सुना है माँ से बच्चों की जिन्दगी पूरी होती है
तो फिर क्या मेरी जिन्दगी अधूरी है?
क्या मुझे फिर कभी माँ का प्यार मिलेगा ही नहीं
मैंने माँ के प्यार को केवल सुना है देखा नहीं

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