जो बिछुड़ रहें जग की चाल से
उन्हें रफ़्तार पे ला दूँ मैं
जो मचा रहें हो भीम उछल कूंद
उन्हें शांति का पाठ पढ़ा दूँ मैं
जो बढ़ रहें हो सरहदों से आगे
उन्हें सरहदों में रहना सिखा दूँ मैं
मेरे जीवन का एक तुष्य ख्वाब
जग में रामराज बना दूँ मैं
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न चले गोंलिया न बहे खून
न कहीं कोई कैसा मातम हो
हर दर पे उमड़े बस खुशी
हर घर उन्नति का पालक हो
चहचहाता आंगन हो सबका
हर कोई समृधि श्रष्टि का चालक हो
मेरे जीवन की एक बिसरी कल्पना
हो एक देव जो दैत्यों का घालक हो
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आये मेरे में इतना सामर्थ
बंजर में भी फसल उगा दूँ मैं
जो मुड़झा रहे पंचतत्वो के वाहक
उन्हें अजेय झुझारू बना दूँ मैं
जो दहक रहा हो किसी का अन्तःपुर
उसे अतुल्य जल पिला दूँ मैं
जो उठी हो पावक किसी में डंसने की
अपने को ही जिला दूँ मैं
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हो अगर देवयोग अभागिन बनने का
जग से पूरा विश्वास मिले
हर राहें अंशुओं की बंद मिले
हर राह पे नयी आस मिले
मिट जाये वैर शब्द शब्दकोश से
प्रेम का चहुदिशी उचास मिले
मेरी माटी के हर गावं में
अमावश्या में भी प्रकाश मिले
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मैं चाह नहीं नरेश बनना
मेरी चाह नहीं धरा पे छा जाना
मेरी इच्छाए है वेगानी मेरे से अब
जब कूटनीती से जीत पा जाना
मैं ठहर नहीं सकता जंजालो से
वाचाल बनू ना रहू सयाना
मैं भड़का दू बस एक क्रांति
अरे नर तूने स्वमं को ना पहिचाना
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हम एक है वसुंधरा के वासी
बस गूँज उढे अम्बर में ये नारा
एक धरम है एक जाति है
एक देश रंग संसार हमारा
लौट आये सेवा दया सदभाव
न युद्ध न जीत ना कोई हारा
मानुष पैंठ जाये उन हालात में
'आज़ाद' का ये अरमान सारा
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